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रफाल

रफाल

रासायनिक संरचना : थायामेथोक्सम स.त. 30.00% भार/भार, ब्युटनोल का कोपलिमर 4.30% भार/भार, ग्लिसरीन 5.10% भार/भार, 1,2 – बेन्जीसोथैयजोल -3 ओन 0.20% भार/भार, मोनाजो डाय ( इरग्लिथ रेड सी 2 बी ) 3.40% भार/भार, पालीइथलीन ग्लाइकोल 2.60% भार/भार, पानी पर्याप्त मात्रा % भार/भार, योग 100.00% भार/भार|

उपयोग : यह कपास के फसल में होने वाले किट जैसे तेला, माहू और सफेद मक्खी ज्वार व मक्का की प्ररोह मक्खी, गेहूं के दीमक, भिंडी के तेला, धान के चुरदा, हरा पत्ती का फुदका व चक्रीय मेगोट, सूरजमुखी के तेला व चुरदा, सोयाबीन के तना मक्खी तथा मिर्च के चुरदा के बिज उपचार द्वारा नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है |

उपचार : कोई विशिष्ट विषनाशक नही है लक्षणानुसार इलाज करे | खुली आग और गर्मी से दूर
ठंडी और सुखी जगह में रखें|

Description

उपयोग के लिए निर्देश : इस्तेमाल से पहले साथ में दिया हुआ पर्चा पढ़ लें |

प्रयोगकर्ताओं के लिए सावधानियां : छिड़काव तैयार करने के लिए खाना पकाने के बर्तन का इस्तेमाल नही कीजिए | छिड़काव के घोल को हिलाने के लिए लकड़ी का उपयोग करे | त्वचा को छिड़काव स्पर्श से बचाव के लिए दस्ताने पहनें| साँस के साथ अन्दर लेने और आखोँ के सम्पर्क से भी बचे| छिड़काव करते समय सुरक्षात्मक कपड़े जैसे मास्क, चश्मा, बूटस आदि पहनें| उत्पाद को उठाते रखते या प्रयोग करते समय खाना पीना या धूम्रपान नही करना चाहिए| कार्य समाप्त होने के बाद हाथों को साबुन और ढेर सारे पानी से धोएं| पहने हुए कपड़ो को बदल ले और उन्हें अच्छी तरह से धोएं |

प्राथमिक चिकित्सा : प्रभावित व्यक्ति को प्रदूषित जगह से हवादार कमरे या खुली हवा में जाए और तापमान से बचाए| विष वाधा के लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त चिकित्सक को बुलाइए| त्वचा में लगने पर प्रदूषित कपड़ो को उतार दें तथा शरीर के प्रभावित हिस्सों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं| आखोँ में चले जाने पर आखोँ को कुछ देर तक साफ पानी से अच्छी तरह छपछपाइए | निगल जाने पर पानी में मेडिसिनल चारकोल की मात्रा में घोलकर बार बार दें |सूचना कभी भी मूर्छित मरीज को मुँह में कुछ भी नही देना चाहिए | उल्टी कराने की कोशिश न करे|

लक्षण : विष के लक्षण से शरीर में ढीलापन, मिर्गी जैसे झटके और प्टोसिस हो सकते है|

विषनाशक : कोई विशेष प्रतिविष नही | लक्षणों के अनुसार उपचार करें |

उपयोग : यह कपास के फसल में होने वाले किट जैसे तेला, माहू और सफेद मक्खी ज्वार व मक्का की प्ररोह मक्खी, गेहूं के दीमक, भिंडी के तेला, धान के चुरदा, हरा पत्ती का फुदका व चक्रीय मेगोट, सूरजमुखी के तेला व चुरदा, सोयाबीन के तना मक्खी तथा मिर्च के चुरदा के बिज उपचार द्वारा नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है |

सावधानी : इस का प्रयोग लेबल /लीफलेट में निर्देषित फसलों के अलावा अन्य फसलों पर मना है इस प्रयोग जिन फसलों पर मधुमक्खियां परागण/ फोरेज कर रही है पर मना है |

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