Description
प्रयोगकर्ताओं के लिए सावधानियां :
1. खाद्यसामग्री, खाद्य सामग्री के खाली बर्तन पशुओं के चारों से दूर रखें।
2. मुंह, त्वचा और आंखों के संम्पर्क से बचाये|
3. प्रयोग करते समय सांस द्वारा अंदर जाने से बचाये ।
4. प्रयोग करने के बाद दूषित कपड़ों और शरीर के अंगों को अच्छी तरह धोए।
5.प्रयोग करते समय धूम्रपान, खाना, पीना और कुछ चबाना नहीं चाहिए।
6. प्रयोग करते समय पूर्ण सुरक्षात्मक कपड़े पहने जैसे दस्ताने, जूते, मास्क, रबर एप्रेन टोप आदि पहनने चाहिये |
विष नाशक : कोई विशिष्ट विषनाशक नहीं है लक्षणाअनुसार इलाज करें।
प्राथमिक चिकित्सा :
1. यदि निगल जाए तो गले के पीछे गुदगुदी करके उल्टी कराये यहां क्रिया तब तक दोहराते रहे जब तक उल्टी द्वारा निकला पदार्थ साप ना हो जाए। यदि मरीज बेहोश हो तो उल्टी ना करायें।
2. यदि कपड़े और त्वचा दूषित हो जाए तो कपड़े उतार दे और दूषित त्वचा को काफी मात्रा में साबुन और पानी से धोएं। यदि आंखें दूषित हो जाए तो उनको काफी मात्रा में सैलाइन / साफ पानी से लगभग 10 – 15 मिनट तक धोएं।
3. यदि सांस द्वारा अंदर गया हो तो रोगी को शुद्ध हवा में ले जाएं।
लक्षण : उबकाई आना, उल्टी आना, सिर दर्द और साँस की नली में, आँखों में तथा फेफड़ो में जलन हो सकती है |
उपयोग : इसका उपयोग कपास, ज्वार व चाय के बरूखी, फलियां, जीरा, अंगूर,आम,खसखस, मटर के चूर्णी फफूंदी मूंगफली के टिक्का पत्तियों के धब्बे की रोखधाम के लिए किया जाता है |
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